शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012

दीपावली विशेषांक के लिए रचनाएं आमंत्रित


छत्तीसगढ़ से प्रकाशित बहुरंगी हिन्दी मासिक पत्रिका ‘‘पंचायत की मुस्कान’’ दीपावली के अवसर पर दीपावली विशेषांक का प्रकाशन करने जा रहा है इसके लिए आप सभी से रचनाएं आमंत्रित हैं। अगर आप हिन्दी अथवा छत्तीसगढ़ में कविता, कहानी, व्यंग्य, लेख या फिर साहित्य के किसी भी विधा में पारंगत हैं और अपनी रचनाएं ‘‘पंचायत की मुस्कान’’ के दीपावली विशेषांक में प्रकाशित करवाना चाहते हैं तो आप अपनी रचनाएं संपादक, ‘‘पंचायत की मुस्कान’’, शिव मंदिर, नहर किनारे, नया चंदनिया पारा जांजगीर, जिला जांजगीर चांपा छ0ग0 पिन 495668 के पते पर 30 अक्टूबर 2012 तक भेज सकते हैं अथवा हमारे ईमेल पता  panchayatkimuskan@gmail.com पर मेल कर सकते हैं।

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विज्ञापन की दुनिया में धमाका - पंचायत की मुस्कान का दीपावली आफर


छत्तीसगढ़ से प्रकाशित बहुरंगी हिन्दी मासिक पत्रिका ‘‘पंचायत की मुस्कान’’ दीपावली के अवसर पर एक खास आफर लेकर आए हैं आफर के अनुसार अब तक जो विज्ञापन ‘‘पंचायत की मुस्कान’’ के भीतर के पेजों में रंगीन में 15 हजार रूपए में लगते थे वो विज्ञापन पंचायत की मुस्कान के दीपावली विशेषांक में 5 हजार रूपए में लगेंगे मतलब 10 हजार रूपए कम में। तो है ना शानदार आफर। 5 हजार रूपए में पूरे एक पेज में फूल पेज विज्ञापन की कीमत मात्र 5 हजार रूपए। ‘‘पंचायत की मुस्कान’’ हिन्दी मासिक पत्रिका है और आप सभी तो जानते हैं कि किसी भी पत्रिका के एक संस्करण ही होते हैं मतलब आपका विज्ञापन अगर पत्रिका में लगता है तब उसे पत्रिका के सभी जगहों के पाठक देख सकते हैं। मतलब कम खर्च में आपके विज्ञापन की पंहुच ज्यादा से ज्यादा लोगों तक। तो है ना शानदार आफर। आप भी अपना विज्ञापन पंचायत की मुस्कान में प्रकाशित करने के लिए इसके संपादक राजेश सिंह क्षत्री से मो0 नं0 7489405373 पर संपर्क कर सकते हैं अथवा उनके ईमेल पते panchayatkimuskan@gmail.com  पर मेल कर सकते हैं।

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रविवार, 16 सितंबर 2012

पंचायत की मुस्कान बना एक हजारी

लो जी, आपकी अपनी वेब पत्रिका पंचायत की मुस्कान अब एक हजारी बन गई। जी हां, आज इस पर एक हजार हिट्स पूरे हो गए। अरे भई आप कह सकते हैं कि एक हजार हिट्स मिलने पर खुशी की कौन सी बात है। आप तो दो दिन में ही अपने साइट्स को इतनी हिट दिला सकते हैं। तो भई हम आपको बता दें कि हमारी आदत तो हर छोटी-छोटी खुशियों पर खुश होने की है। अब भागमभाग भरी जिंदगी में बड़ी खुशियों के इंतजार में बैठे रहे तब तो पूरी उम्र बीत जाएगी। हम तो इतना खुश उस दिन भी हुए थे जिस दिन हमारी मासिक पत्रिका पंचायत की मुस्कान का पंजीयन हुआ था। उसके बाद जिस दिन हमने अपने पेज पूरे किए उस दिन भी हमें इतनी ही खुशी हुई थी और जिस दिन हमारी मासिक पत्रिका के प्रथम अंक का प्रकाशन हुआ उस दिन की खुशी तो भई उससे भी कहीं ज्यादा हुआ था उसके बाद जब भी पंचायत की मुस्कान का नया अंक आता है हम खुश हो लेते हैं और भई एक हजार हिट की खुशी इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि ये हिट हमें पूरी ईमानदारी से मिला है। वह भी तब जब हमें स्वयं में लगता है कि हमारें साईट को गूगल, याहू आदि सर्च इंजन उस तरह से सपोर्ट नहीं कर पा रहे हैं जैसे हमें चाहिए थी या जिसकी हमें उम्मीद थी इसीलिए तो हमने अपने वेब डिजाईनर को कहा भी था कि भई हिट काउंटर तो कुछ ऐसा लगाना जिससे कि हम भी सौ-दो सौ फर्जी हिट्स रोज मार सके। हम अपने कम्प्यूटर पर जितनी बार रिफ्रेश मारे हमारे हिट काउंटर में एक आंकड़ा बढ़ जाए। लेकिन हमारा वेब डिजाइनर तो जैसे हमसे दुश्मनी भिड़ाने को तैयार बैठा था। क्या पता, हमने उसकी मेहनत से कम पैसा दे दिया होगा तो बच्चू एक पत्रकार से पैसा मांगने से तो रहा इसलिए उसने ऐसी हिट काउंटर हमारे वेब साईट पर बिठा दी की आप कम्प्यूटर पंचायत की मुस्कान डाट काम खोलकर दिन भर बैठ जाओ और रिफ्रेश पर रिफ्रेश मारते रहो लेकिन क्या मजाल वह एक से दो हिट बता दे। अब भई एक गरीब पत्रकार के पास पच्चीस-पचास कम्प्यूटर तो होते नहीं कि वह कम्प्यूटर बदल-बदल कर हिट बढ़ा ले, सो हमने सोचा कि चलो भगवान जिस दिन हमें एक हजारी बना देगा उसी दिन हम प्रसन्न हो जायेंगे। तो भाया, आज वह दिन आ ही गया जिस दिन हमारे वेबसाईट ने एक हजार का आंकड़ा पार कर लिया है। अब आप कहेंगे कि एक हजार हिट में इतने दिन लग गए तो भाया, अभी पंचायत की मुस्कान
को वेबसाईट के रूप में आए दिन ही कितने हुए हैं। अभी अगस्त की ही तो बात है, हमने 15 अगस्त को अपने वेबसाईट की लांचिंग के बारे में सोचा था लेकिन अतिथियों को खिलाने के लिए मिठाई के पैसे की भी जुगाड़ हम नहीं कर पाए इसलिए उस दिन हम विधिवत लांचिंग नहीं कर पाए। अब आप 15 अगस्त को एक दो दिन और पीछे कर लो, 10 अगस्त कर लो फिर भी आज 16 सितंबर को हम एक हजारी बन गए इस हिसाब से भी हमने यह आंकड़ा आखिरकार 35 दिनों में पा ही लिया। अब जब हमें सर्च इंजन सही तरीके से सपोर्ट ना करे। जब हम इस पर अकेले मेहनत करें और आप इसे खोलकर भी ना देखे तब इतने दिन तो लगने ही हैं। आप हमें थोड़ा तो मार्गदर्शन दीजिए कि हम इसके हिट को दिन दूनी रात चैगुनी कैसे बढ़ा सकते हैं तब फिर देखिए आज जैसे हम एक हजार हिट्स की खुशी मना रहे हैं उससे भी कहीं ज्यादा बहुत जल्द ही एक हजार हिट्स की खुशियां मनायेंगे।

सोमवार, 10 सितंबर 2012

दिल्ली में मार्केटिंग हेड की आवश्यकता है ...

राष्ट्रीय हिन्दी मासिक पत्रिका पंचायत की मुस्कान को दिल्ली में मार्केटिंग हेड की आवश्यकता है। ऐसे युवक जो कि एमबीए डिग्रीधारी हो या फिर जिन्हें मीडिया मार्केटिंग के क्षेत्र में कम से कम तीन वर्ष का अनुभव हो वह इस पद के लिए panchayatkimuskan@gmail.com पर अपना बायोडाटा भेज सकते हैं। मार्केटिंग हेड के रूप में नियुक्त व्यक्ति का कार्यक्षेत्र संपूर्ण देश होगा वहीं उनका मुख्य फोकस देश की राजधानी दिल्ली होगी । मार्केटिंग हेड के रूप में नियुक्त उम्मीद्वार को राष्ट्रीय हिन्दी मासिक पत्रिका पंचायत की मुस्कान के प्रचार प्रसार के साथ साथ इसकी वेब पत्रिका पंचायत की मुस्कान का प्रचार प्रसार एवं उनके लिए विज्ञापन लाने एवं विज्ञापन राशि एकत्रित करने का कार्य करना होगा। मार्केटिंग हेड आवश्यकतान ुसार अपने साथ सहायक भी रख सकता है। उन्हें योग्यतानुसार वेतन प्रदान किया जाएगा। इंटरनेंट पर पंचायत की मुस्कान पत्रिका को www.panchayatkimuskan.blogspot.com पर पढ़ा जा सकता है वहीं पंचायत की मुस्कान की वेबसाईट www.panchayatkimuskan.com पर लागिन कर देखे जा सकते हैं।

इन्दौर में मार्केटिंग हेड की आवश्यकता है ...

राष्ट्रीय हिन्दी मासिक पत्रिका पंचायत की मुस्कान को इन्दौर में मार्केटिंग हेड की आवश्यकता है। ऐसे युवक जो कि एमबीए डिग्रीधारी हो या फिर जिन्हें मीडिया मार्केटिंग के क्षेत्र में कम से कम तीन वर्ष का अनुभव हो वह इस पद के लिए panchayatkimuskan@gmail.com पर अपना बायोडाटा भेज सकते हैं। मार्केटिंग हेड के रूप में नियुक्त व्यक्ति का कार्यक्षेत्र संपूर्ण इन्दौर परिक्षेत्र होगा । मार्केटिंग हेड के रूप में नियुक्त उम्मीद्वार को राष्ट्रीय हिन्दी मासिक पत्रिका पंचायत की मुस्कान के प्रचार प्रसार के साथ साथ इसकी वेब पत्रिका पंचायत की मुस्कान का प्रचार प्रसार एवं उनके लिए विज्ञापन लाने एवं विज्ञापन राशि एकत्रित करने का कार्य करना होगा। मार्केटिंग हेड आवश्यकतान ुसार अपने साथ सहायक भी रख सकता है। उन्हें योग्यतानुसार वेतन प्रदान किया जाएगा। इंटरनेंट पर पंचायत की मुस्कान पत्रिका कोwww.panchayatkimuskan.blogspot.com पर पढ़ा जा सकता है वहीं पंचायत की मुस्कान की वेबसाईट www.panchayatkimuskan.com पर लागिन कर देखे जा सकते हैं।

भोपाल में मार्केटिंग हेड की आवश्यकता है ...

राष्ट्रीय हिन्दी मासिक पत्रिका पंचायत की मुस्कान को भोपाल में मार्केटिंग हेड की आवश्यकता है। ऐसे युवक जो कि एमबीए डिग्रीधारी हो या फिर जिन्हें मीडिया मार्केटिंग के क्षेत्र में कम से कम तीन वर्ष का अनुभव हो वह इस पद के लिए panchayatkimuskan@gmail.com पर अपना बायोडाटा भेज सकते हैं। मार्केटिंग हेड के रूप में नियुक्त व्यक्ति का कार्यक्षेत्र संपूर्ण मध्यप्रदेश होगा वहीं उनका फोकस विशेष रूप से मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल पर होगा। मार्केटिंग हेड के रूप में नियुक्त उम्मीद्वार को राष्ट्रीय हिन्दी मासिक पत्रिका पंचायत की मुस्कान के प्रचार प्रसार के साथ साथ इसकी वेब पत्रिका पंचायत की मुस्कान का प्रचार प्रसार एवं उनके लिए विज्ञापन लाने एवं विज्ञापन राशि एकत्रित करने का कार्य करना होगा। मार्केटिंग हेड आवश्यकतान ुसार अपने साथ सहायक भी रख सकता है। उन्हें योग्यतानुसार वेतन प्रदान किया जाएगा। इंटरनेंट पर पंचायत की मुस्कान पत्रिका कोwww.panchayatkimuskan.blogspot.com पर पढ़ा जा सकता है वहीं पंचायत की मुस्कान की वेबसाईट www.panchayatkimuskan.com पर लागिन कर देखे जा सकते हैं।

रायपुर में मार्केटिंग हेड की आवश्यकता है ...

राष्ट्रीय हिन्दी मासिक पत्रिका पंचायत की मुस्कान को रायपुर में मार्केटिंग हेड की आवश्यकता है। ऐसे युवक जो कि एमबीए डिग्रीधारी हो या फिर जिन्हें मीडिया मार्केटिंग के क्षेत्र में कम से कम तीन वर्ष का अनुभव हो वह इस पद के लिए panchayatkimuskan@gmail.com पर अपना बायोडाटा भेज सकते हैं। मार्केटिंग हेड के रूप में नियुक्त व्यक्ति का कार्यक्षेत्र संपूर्ण छत्तीसगढ़ होगा वहीं उनका फोकस विशेष रूप से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पर होगा। मार्केटिंग हेड के रूप में नियुक्त उम्मीद्वार को राष्ट्रीय हिन्दी मासिक पत्रिका पंचायत की मुस्कान के प्रचार प्रसार के साथ साथ इसकी वेब पत्रिका पंचायत की मुस्कान का प्रचार प्रसार एवं उनके लिए विज्ञापन लाने एवं विज्ञापन राशि एकत्रित करने का कार्य करना होगा। मार्केटिंग हेड आवश्यकतान ुसार अपने साथ सहायक भी रख सकता है। उन्हें योग्यतानुसार वेतन प्रदान किया जाएगा। इंटरनेंट पर पंचायत की मुस्कान पत्रिका कोwww.panchayatkimuskan.blogspot.com पर पढ़ा जा सकता है वहीं पंचायत की मुस्कान की वेबसाईट www.panchayatkimuskan.com पर लागिन कर देखे जा सकते हैं।

पुस्तक समीक्षा - पंचायत की मुस्कान का अगस्त अंक संग्रहणीय

श्रीमती यशवंत रानी देश प्रेम और राष्ट्रीयता की भावना से ओत प्रोत रहने वाले लोगों को पंचायत की मुस्कान के अगस्त 2012 के अंक में काफी कुछ जानकारियां हासिल हो सकती है। अपने कव्हर पेज की तरह ही अगस्त अंक के अंदर के पन्ने भी काफी आकर्षक है। कव्हर पेज में जहां लाखों देशप्रेमियों के समक्ष उदबोधन देते राष्ट्रपति महात्मा गांधी आकर्षित करते हैं वहीं कव्हर स्टोरी 15 अगस्त 1947 जब भारत आजाद हुआ वाकई में लाजवाब है तथा उसे देखकर ही इस बात का अंदाजा हो जाता है कि इस अंक के उपर में वाकई में पंचायत की मुस्कान की टीम के द्वारा काफी मेहनत की गई है। कव्हर स्टोरी में 26 चित्रों के माध्यम से 15 अगस्त 1947 के उन पलों को एक बार फिर से ताजा किया गया है जिस दिन अंग्रेजों की 200 साल से भी लंबी दासता से हमें आजादी प्राप्त हुई थी। इन तस्वीरों में आधी रात को भारत को आजादी प्राप्त होने से लेकर, राजपथ के उल्लास, झंडावंदन, जवाहर लाल नेहरू के ऐतिहासिक भाषण, राजपथ के माहौल, द हिन्दुस्तान टाईम्स, मार्निंग न्यूज, द स्टेटमेन, द टाईम्स आफ इंडिया, और द न्यूयार्क टाईम्स के 15 अगस्त 1947 के अंक में भारत से जुड़ी खबरों के प्रकाशन, भारत की आजादी के अवसर पर 15 अगस्त 1947 को निकाले गए सिक्के, मेडल, स्टांप के साथ साथ पत्रों में उस दिन लगे सील मोहर तक के निशान पूरी खबर को संग्रहणीय बना देते हैं। मिशन 2013 में हमेशा की तरह राजनीति पर चर्चा की गई है तो अन्ना की पार्टी पर पाठकों की राय के माध्यम से यह जानने की कोशिश की गई है कि क्या अन्ना हजारे को पार्टी बनानी चाहिए ? इसी स्तंभ में एक पाठक की प्रतिक्रिया ‘‘कछु ले लुआ के भ्रष्टाचार मुक्त देश बना दो न मनमोहन जी ... ’’ को बाक्स में स्थान दिया गया है। एसएमएस जोन के स्थान पर पूरे एक पन्ने में स्वतंत्रता दिवस संदेश का प्रकाशन कर राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर प्रकाशित स्तंभ को सार्थक किया गया है तो समाज स्तंभ में अपहरणकर्ता मां ...! शीर्षक से एक मर्मस्पर्शी समाचार का प्रकाशन किया गया है। सिनेमा में भारत के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना को स्थान मिला है तो वहीं गाने अनमोल में भी उन्हीं के फिल्म सफर का गीत जिंदगी का सफर ... को स्थान दिया गया है। छत्तीसगढ़ में मनरेगा में मजदूरी पाने भटक रहे मजदूर लेख का प्रकाशन किया गया है तो वहीं पचरी के गोठ में केन्द्र सरकार की मोबाईल देने की योजना पर ‘‘तय हल्लो-हल्लो कहे, मय हाल गेहेंव रे ...’’ के माध्यम से कटाक्ष है। कुल मिलाकर देखा जाए तो पंचायत की मुस्कान का यह अंक नवीनता लिए हुए है तथा 15 अगस्त 1947 के बारे में दिए गए ऐतिहासिक तस्वीरों के लिए ही इसे आप हमेशा के लिए अपने पास संभालकर रख सकते हैं। 15 अगस्त 1947 की ब्लेक एंड व्हाईट तस्वीरें भी रंगीन पेजों पर काफी आकर्षक लग रहे हैं। इंटरनेंट पर इस अंक कोwww.panchayatkimuskan.blogspot.com पर पढ़ा जा सकता है वहीं पंचायत की मुस्कान में रोजाना के समाचारwww.panchayatkimuskan.com पर देखे जा सकते हैं।

राष्ट्रीय मासिक पत्रिका पंचायत की मुस्कान अब वेबसाईट पर: रोजाना की खबरें भी होगी अपडेट


मार्च 2011 से छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले से नियमित रूप से प्रकाशित हो रही पंचायत की मुस्कान अब नए रूप रंग, नए कलेवर और नए तेवरों के साथ इंटरनेट पर वेबप्रत्रिका के रूप में वेबसाईट पर प्रकाशित हो रही है। www.panchayatkimuskan.com में लागिन करके इस पत्रिका को पढ़ा जा सकता है। इस पत्रिका में एक ओर जहां राष्ट्रीय हिन्दी मासिक पत्रिका पंचायत की मुस्कान में डाली जाने वाली सामग्री तो डाली ही जाएगी वहीं दूसरी ओर इसमें रोजाना होने वाले देश विदेश की खबरों को भी स्थान दिया जाएगा। मासिक पत्रिका पंचायत की मुस्कान ने धीमें लेकिन विश्वसनीय तरीके से पाठकों के बीच अपना एक अलग मुकाम हासिल कर लिया है उसी तरह से इसके पाठकों को उम्मीद है कि वेब पत्रिका पंचायत की मुस्कान भी अपने पाठकों की कसौटी पर खरा उतरेगा।

शनिवार, 4 अगस्त 2012

लंदन ओलंपिक, साइना ने कांस्य पदक जीता


            दुनिया में पांचवें नंबर की साइना नेहवाल ने लंदन ओलंपिक में चीनी खिलाड़ी वि वांग जिन के चोटिल होने के कारण मुकाबले से हट जाने से कांस्य पदक हासिल कर लिया है। वांग जिन जिस समय मैच से हटी उस समय उसने पहला गेम 21-18 से जीत लिया था। भारत का लंदन ओलंपिक में यह तीसरा पदक है।

साइना को छोड़कर सेमीफाइनल में तीनों खिलाड़ी चीनी थे। इस स्पर्धा का स्वर्ण और रजत चीन के खाते में जाना पक्का हो गया था। लेकिन कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में दुनिया की दूसरे नंबर की जिन और साइना के बीच जोरदार जंग देखने को मिली। जिन ने संघर्ष के बाद पहला गेम जीत लिया। लेकिन पहले गेम के दौरान ही उसने घुटने के नीचे चोट लगने की शिकायत की और इसके बाद टीम के फिजियो आए। पट्टी बांधकर उसने खेल जारी रखने का प्रयास किया और दूसरे गेम के लिए उतरने के बाद जिन ने एक अंक बना लिया लेकिन उसने आगे मैच जारी रखने में असमर्थता जताई और मैच से हट गई। इसके साथ ही मैच का परिणाम साइना के पक्ष में चला गया और कांस्य पदक हासिल कर लिया।
मैच के बाद साइना के कोच पुलैला गोपीचंद ने कहा कि जिस तरह से साइना को पदक मिला उन्हें अच्छा नहीं लगा। लेकिन साइना ने लंदन में शानदार खेल दिखाया था। ओलंपिक में पदक जीतने खास होता ही है। साइना कर्णम मल्लेश्वरी के बाद ओलंपिक में पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं। मल्लेश्वरी ने ख्000 में सिडनी ओलंपिक में भारोत्तोलन में कांस्य पदक जीता था।
जीत के बाद साइना के पिता हरवीर सिंह नेहवाल ने कहा, 'यह साइना को उसकी कड़ी मेहनत और लगन के एवज में ईश्वर की तरफ से मिला तोहफा है। निश्चित ही यहां किस्मत उसके साथ थी, लेकिन यह पदक साइना का था। उसने इसके लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था। चौबीस घंटे वह अभ्यास में लगी रहती थी। इसके लिए उसने अपनी पढ़ाई तक छोड़ दी।'
इससे पूर्व साइना सेमीफाइनल में नंबर एक वांग यहान के हाथों 21-13, 21-13 से मुकाबला हार गई थी।

शुक्रवार, 3 अगस्त 2012

लंदन ओलंपिक, विजय कुमार ने दिलाया भारत को रजत पदक


अमीरों का खेल माने जाने वाले निशानेबाज़ी में भारतीय सेना के एक सूबेदार ने अपन लोहा मनवाते हुए लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीता है.
भारत के लिए लंदन ओलंपिक में रजत पदक हासिल करने वाले विजय कुमार भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर काम कर रहे हैं. उनके पिता बांकूराम भी सेना से ही सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हुए थे.
विजय कुमार फिलहाल 26 साल के हैं और जब वो सेना में भर्ती हुए तब उनकी उम्र थी सिर्फ सोलह साल. निशानेबाज़ी उन्होंने सेना में आने के बाद ही शुरु की.
विजय कुमार हिमाचल प्रदेश के हरसौर गांव से आते हैं और 2003 से निशानेबाज़ी कर रहे हैं.
राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान मुझे कई बार विजय कुमार से मिलने का मौका मिला. लंदन के लिए क्वालिफाई करने के बाद मैंने उनका एक इंटरव्यू भी किया था.

शांत और मिलनसार

विजय कुमार की खास बात ये है कि वो ज़मीन से जुडे हुए हैं. उनसे मिलकर एहसास होता है कि वो उतने ही शांत, सहज और एकाग्र हैं जितना एक निशानेबाज़ को होना चाहिए और उतने ही मिलनसार और दोस्ताना जितना एक इंसान को होना चाहिए.
विजय कुमार कहते हैं कि वो निशानेबाज़ी में हैं इसके पिछे सिर्फ और सिर्फ सेना ही प्रमुख वजह है. वो अपने पिता को अपनी सबसे बड़ी ताकत मानते हैं.
विजय कुमार ने सेना मे रहते हुए दो साल बॉक्सिंग भी की है और कहते हैं कि अगर वो निशानेबाज़ ना होते तो ज़रुर एक मुक्केबाज़ होते.
ऐसा नहीं हैं कि लंदन ओलंपिक में पदक जीतकर उन्होंने कोई चमत्कार कर दिखाया है, वो लगातार इसके लिए मेहनत करते रहे हैं. विजय कुमार और बाकि निशानेबाज़ों में फर्क ये है कि वो मीडिया की सुर्खियों में नहीं छाए.

मेहनत पर विश्वास

दिल्ली में हुए राष्ट्रमंण्डल खेलों में भी विजय कुमार ने चार पदक जीते थे जिनमें तीन स्वर्ण और एक कांस्य पदक शामिल था.
2011 में शूंटिंग विश्व कप में रजत पदक जीत उन्होंने लंदन का टिकट हासिल किया. इससे पहले 2009 में भी वो इसी स्पर्धा का रजत जीत चुके हैं. इतना ही नहीं ग्वांग्जू एशियाई खेलों में उन्होंने दो कांस्य पदक जीते थे.
विजय कुमार एक आम मेहनतकश भारतीय की तरह किस्मत में नहीं बल्कि मेहनत में विश्वास करते हैं और लंदन में जीता गया कांस्य पदक उनकी मेहनत का ही नतीजा है.

सोमवार, 30 जुलाई 2012

कांस्य पदक जीतने पर सहारा देगी गगन को दो किलो सोना

लंदन ओलिंपिक में गगन नारंग ने दस मीटर एयर रायफल में कांस्य पदक जीता है। अब सहारा इंडिया परिवार की तरफ से उन्हें दो किलो सोना दिया जाएगा क्योंकि सहारा इंडिया परिवार ने लंदन में होने वाले ओलिंपिक खेलों में पदक जीतने वाले भारतीय खिलाड़ियों को पुरस्कार देने की घोषणा की थी।
 
गौरतलब है कि सहारा परिवार लंदन ओलंपिक 2012 में प्रत्येक भारतीय स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी को 5 किलो सोने का पदक, रजत पदक पाने वाले खिलाड़ी को 3 किलो सोने का पदक और कांस्य पदक पाने वाले खिलाड़ी को 2 किलो सोने का पदक देगा। 
 
टीम प्रतिस्पर्धा वाले खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के प्रत्येक सदस्य में 5 किलो सोने बराबर-बराबर पदक के रूप में वितरित किया जाएगा और इसी प्रकार रजत पदक जीतने वाली टीम के प्रत्येक सदस्य में 3 किलो सोना और कांस्य पदक जीतने वाली टीम के प्रत्येक सदस्य में 2 किलो सोना बराबर-बराबर पदक के रूप में वितरित किया जायेगा। सहारा इंडिया परिवार के मैनेजिंग वर्कर एवं चेयरमैन 'सहाराश्री' सुब्रत रॉय सहारा ने कहा, ''मैं पूरी दृढ़ता से यह विश्वास करता हूं कि प्रतिष्ठित ओलम्पिक खेलों में जो खिलाड़ी बतौर विजेता उभर कर आते हैं और हमारे देश के लिए सम्मान लाते हैं, शायद ही हम किसी सम्मान से उनके द्वारा किए गए अथक प्रयासों की बराबरी कर सकते हैं। यह अवार्ड हमारे द्वारा उन भारतीय खिलाड़ियों को सम्मानित करने का एक छोटा सा प्रयास है, जिन्होंने हमारे प्यारे देश के लिए इस उच्चस्तरीय अन्तरराष्ट्रीय समारोह में सफलता और सम्मान अर्जित किया है।''

लंदन ओलंपिक में भारत का खाता खुला, गगन नारंग को मिला कांस्य पदक

                 लंदन ओलंपिक में पहले पदक के लिए भारत को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा आज गगन नारंग ने कांस्य पदक जीत कर भारत को लंदन ओलंपिक में पहला पदक दिलाया।
                  भारत की झोली में पहला पदक आ गया है। निशानेबाजी में गगन नारंग को कांस्य पदक प्राप्त करने में सफलता मिली है। उन्होंने ओलंपिक के 10 मीटर एयर राइफल के फाइनल में यह उपलब्धि हासिल की है। उन्हें फाइनल राउंड में 701.6 अंक मिले। हालांकि अभिनव बिंद्रा इसमें फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाए।
पूरे भारत में इस उपलब्धि पर खुशी की लहर है। गगन के माता-पिता अपने बेटे को लेकर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उनके घर पर मिठाइयां बांटी जा रही हैं। खेल मंत्री अजय माकन ने भी गगन को बधाई दी है।
क्वालीफाइंग राउंड में गगन नारंग शुरू से बेहतरीन प्रदर्शन करके तीसरे नंबर पर रहे। गगन नारंग ने 6 राउंड में 598 पॉइंट बटोरे। गगन नारंग को केवल तीसरे राउंड में 98 पॉइंट मिले, जबकि बाकी सभी राउंड में गगन ने सभी 100 पॉइंट बटोरे।
10 मीटर एयर राइफल की स्पर्धा में अभिनव बिंद्रा मेडल के तगड़े हकदार थे। अभिनव बिंद्रा से भारत को इसलिए ज्यादा उम्मीदें थीं क्योंकि पिछली बार चीन में हुए ओलिंपिक में बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल में गोल्ड जीता था। लेकिन अभिनव बिंद्रा 594 पॉइंट्स के साथ 16वें नंबर पर रहे। बिंद्रा को 6 राउंड में 99,99,100,100,99 और97 पॉइंट्स मिले।

मंगलवार, 24 जुलाई 2012

लंदन ओलंपिक 2012, इन पर टिकी है भारत की उम्मीदें

           दुनिया भर के खेल प्रेमियों की निगाहें २७ जुलाई से १२ अगस्त तक लंदन के विभिन्ना स्टेडियमों पर लगी रहेंगी, क्योंकि विश्व के सभी प्रमुख खिलाड़ी वहाँ पदकों के लिए जद्दोजहद करते हुए नजर आएँगे। २६ खेलों में ३०२ स्वर्ण पदक दाव पर होंगे जिनके लिए २०४ देशों के करीब १०४९० खिलाड़ी भाग्य आजमाएँगे। इस आयोजन के साथ ही लंदन के नाम एक विशिष्ट उपलब्धि जुड़ जाएगी, वह तीन बार ओलिम्पिक खेलों की मेजबानी करने वाला पहला शहर बन जाएगा। बीजिंग में २००८ में हुए पिछले ओलिम्पिक खेलों में भारत ने ३ पदक हासिल किए थे जो उसका अभी तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इस बार १३ खेलों में भारत का ८१ सदस्यीय दल हिस्सा लेगा। यह खेल महाकुंभ में भारत का अब तक का सबसे बड़ा दल होगा। भारत के लिए यह सबसे सफल ओलिम्पिक साबित होने का अनुमान है। देखना होगा कि करोड़ों लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरकर विजेंदरसिंह, एमसी मैरीकॉम, अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग, दीपिका कुमारी, साइना नेहवाल, सुशील कुमार, लिएंडर पेस व सानिया मिर्जा पदक दिलवा पाते हैं या नहीं।
           ओलिम्पिक पदक हर खिलाड़ी का सबसे बड़ा सपना होता है, लेकिन खेल महाकुंभ के आते ही भारतीयों के मन को एक ही सवाल कचोटता है कि हर क्षेत्र में दुनिया के सभी देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाला यह देश खेल के क्षेत्र में क्यों फिसड्डी रह जाता है। एक अरब से ज्यादा की आबादी और किसी एक ओलिम्पिक में अभी तक जीते हैं सर्वाधिक ३ पदक। ये आँकड़े शर्मसार करने वाले है, लेकिन २०१० कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन के बाद से देश के खेल स्तर में जबर्दस्त सुधार आया है। अत्याधुनिक सुविधाओं और खिलाड़ियों की तैयारियों को देखते हुए इस बार पूरा विश्वास है कि लंदन ओलिम्पिक भारत के लिए अभी तक के सबसे सफल ओलिम्पिक साबित होंगे।

निशानेबाजी

        निशानेबाजी से सभी को काफी उम्मीदें है। अभिनव बिंद्रा बीजिंग ओलिम्पिक खेलों में देश के पहले व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता बने थे। पिछले दो ओलिम्पिक खेलों (एथेंस और बीजिंग) से भारत इस खेल में पदक जीत रहा है और इस बार तो हमारे ११ निशानेबाज लंदन में चुनौती पेश करने उतरेंगे। निशानेबाजी में भारत एक महाशक्ति बन चुका है और लंदन में वह कुछ पदक जीतकर इस बात पर मुहर लगाना चाहेगा। १० मीटर एयर राइफल स्पर्धा में भारत एक से ज्यादा पदक भी जीत सकता है, क्योंकि हमारे पास गत ओलिम्पिक चैंपियन बिंद्रा और विश्व कीर्तिमानधारी गगन नारंग मौजूद हैं। बिंद्रा ने अभ्यास स्पर्धाओं में अच्छा प्रदर्शन किया है। बिंद्रा को कड़ी चुनौती अपने ही देश के नारंग से मिलेगी। दो ओलिम्पिक खेलों में असफल रह चुके विश्व कीर्तिमानधारी नारंग तीसरी बार सफल होने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।            निशानेबाजी में जहाँ सारा ध्यान बिंद्रा और नारंग पर रहेगा, वहीं डबल ट्रेप में रोंजन सोढ़ी कमाल दिखाने को तैयार हैं। दुनिया का यह नंबर एक निशानेबाज लंदन ओलिम्पिक को यादगार बनाना चाहता है। 

तीरंदाजी 


          तीरंदाजी में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में जबर्दस्त तरक्की की है और इसका सबूत है कि इस बार छः भारतीय तीरंदाज लंदन में अपनी चुनौती पेश करेंगे। देश को सबसे ज्यादा उम्मीद दुनिया की नंबर एक तीरंदाज दीपिका कुमारी से रहेगी। २००६ में १२ वर्ष की उम्र में खेल में पदार्पण करने के बाद से दीपिका ने सफलताओं के कई सोपान चढ़े हैं। १८ वर्षीया दीपिका का सपना है ओलिम्पिक पदक जीतना और उनके द्वारा इस बार इतिहास रचे जाने के प्रबल आसार हैं। दीपिका दक्षिण कोरियाई धुरंधरों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। दीपिका व्यक्तिगत वर्ग के अलावा एल. बोम्बायला देवी और चक्रोवेलू स्वूरो के साथ टीम वर्ग में भी हिस्सा लेंगी। जयंत तालुकदार, राहुल बनर्जी और तरूणदीप रॉय की पुरुष रिकर्व टीम सही समय पर फॉर्म में आई है और उन्होंने इस खेल में भारत के पदक जीतने की संभावनाओं को बढ़ा दिया है। 

बैडमिंटन


          बैडमिंटन में भारतीय चुनौती की अगुवाई साइना नेहवाल करेंगी और पहली बार पाँच भारतीय खिलाड़ी ओलिम्पिक बैडमिंटन में चुनौती पेश करेंगे। भारतीय बैडमिंटन में इस समय एक ही सितारा दैदीप्यमान है और वह है साइना। चीनी प्रभुत्व को चुनौती देते हुए साइना ने कुछ समय पूर्व इंडोनेशियाई ओपन खिताब जीता था। उन्होंने वांग यिहान के अलावा सभी प्रमुख चीनी खिलाड़ियों को पराजित किया है। पिछले दिनों थाईलैंड ओपन और इंडोनेशियाई ओपन खिताब हासिल कर वे सही समय पर पूरी लय में नजर आ रही हैं और अब उनके सामने ओलिम्पिक में पदक नहीं जीत पाने के मिथक को तोड़ने और इतिहास बनाने की चुनौती रहेगी। पुरुषों में पी. कश्यप कुछ उलटफेर करने में सक्षम हैं। दो वर्गों में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला ज्वाला गुट्टा अपने जोड़ीदार वी. डीजू के साथ मिश्रित युगल वर्ग में और अश्विनी पोनप्पा के साथ महिला युगल वर्ग में चुनौती पेश करेंगी। 

टेनिस 


             प्रमुख खिलाड़ियों के अहं के टकराव के चलते भारतीय टेनिस टीम चयन विवाद काफी सुर्खियों में रहा। खिलाड़ियों के सामने अब चयन विवाद की कड़वाहट को भुलाते हुए एकजुट होकर देश के लिए पदक जीतने की चुनौती रहेगी। सानिया मिर्जा और लिएंडर पेस की जोड़ी से पदक की उम्मीद की जा सकती है। वैसे यह जोड़ी २०१० कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद एक साथ नहीं खेली है, लेकिन दोनों के अनुभव को देखते हुए इन्हें तालमेल बैठाने में मुश्किल नहीं होनी चाहिए। महेश भूपति और रोहन बोपन्नाा की जोड़ी को पदक के दावेदार के रूप में नहीं देखा जा रहा है। वैसे इन दोनों पर अपने निर्णय को सही साबित करने का अतिरिक्त दबाव भी है। अब देखना होगा कि ये क्या कर पाते हैं। 

हॉकी


              ओलिम्पिक में भारत की पहचान हॉकी से रही है। बीजिंग ओलिम्पिक के वक्त भारत को बहुत शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी जब आठ बार का विजेता यह देश हॉकी में पात्रता भी हासिल नहीं कर पाया था। इस बार टीम इंडिया ने क्वालीफाई तो कर लिया है, लेकिन पदक जीतना अभी भी दूर की कौड़ी है। भारतीय कोच माइकल नॉब्स स्वयं टीम के शीर्ष छः में पहुँचने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, यदि ऐसा भी हो जाता है तो यह टीम का शानदार प्रदर्शन माना जाएगा।


मुक्केबाजी


            देश को इस बार सबसे ज्यादा पदकों की उम्मीद मुक्केबाजी में है। विजेंदरसिंह की अगुवाई में विकास कृष्णन, शिवा थापा और एमसी मैरीकॉम को पदक के दावेदारों के रूप में देखा जा रहा है। विजेंदर ने चार वर्ष पहले बीजिंग ओलिम्पिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा था। उनकी इस सफलता से भारतीय मुक्केबाजी जगत ने ऐसी प्रेरणा ली कि इन चार वर्षों में उसका पूरा नक्शा ही बदल गया। २००९ विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता विजेंदर इस समय भले ही फॉर्म में नहीं हों, लेकिन उनकी चुनौती को कोई भी हलके में नहीं लेता है। विजेंदर के बाद विकास कृष्णन पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी। ६९ किग्रा वर्ग में विश्व यूथ चैंपियनशिप और २०१० एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता विकास स्वर्ण के इरादे से लंदन में रिंग में उतरेंगे। 

सबसे युवा मुक्केबाज शिवा थापा भी उलटफेर कर पदक जीतने में सक्षम हैं। महिलाओं में पाँच बार की विश्व चैंपियन २९ वर्षीया एमसी मैरीकॉम के पास अपने ओलिम्पिक पदक के सपने को साकार करने का पूरा मौका है।महिला चक्का फेंक में कृष्णा पूनिया को पदक के दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स की स्वर्ण पदक विजेता कृष्णा ने ग्वाँगझू एशियाई खेलों में कांस्य पदक अर्जित किया था। उनके प्रदर्शन में इसके बाद से लगातार सुधार आ रहा है, लेकिन वे भी जानती हैं कि लंदन में उनके सामने चुनौती आसान नहीं होगी।सुशील कुमार ने बीजिंग ओलिम्पिक में देश को १९५२ के बाद कुश्ती में पदक दिलाया था। २०१० विश्व चैंपियनशिप के विजेता सुशील से इस बार भी देश को पदक की उम्मीद रहेगी। फ्रीस्टाइल के ६६ किग्रा वर्ग में हिस्सा लेने वाले सुशील पिछले कुछ समय से चोटों से जूझ रहे थे, लेकिन अब वे पूरी तरह फिट हैं और उन्हें विश्वास है कि वे लंदन में भी चमत्कार दिखाएँगे। सुशील के अलावा २०१० कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले योगेश्वर दत्त (६० किग्रा) से भी पदक की उम्मीद रहेगी। नरसिंह यादव (७४ किग्रा) और अमित कुमार (५५ किग्रा) भी चमत्कार कर सकते हैं। एकमात्र महिला पहलवान गीता फोगट की चुनौती को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।दुनिया भर के खेल प्रेमियों की निगाहें २७ जुलाई से १२ अगस्त तक लंदन के विभिन्ना स्टेडियमों पर लगी रहेंगी, क्योंकि विश्व के सभी प्रमुख खिलाड़ी वहाँ पदकों के लिए जद्दोजहद करते हुए नजर आएँगे। २६ खेलों में ३०२ स्वर्ण पदक दाव पर होंगे जिनके लिए २०४ देशों के करीब १०४९० खिलाड़ी भाग्य आजमाएँगे। इस आयोजन के साथ ही लंदन के नाम एक विशिष्ट उपलब्धि जुड़ जाएगी, वह तीन बार ओलिम्पिक खेलों की मेजबानी करने वाला पहला शहर बन जाएगा। बीजिंग में २००८ में हुए पिछले ओलिम्पिक खेलों में भारत ने ३ पदक हासिल किए थे जो उसका अभी तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इस बार १३ खेलों में भारत का ८१ सदस्यीय दल हिस्सा लेगा। यह खेल महाकुंभ में भारत का अब तक का सबसे बड़ा दल होगा। भारत के लिए यह सबसे सफल ओलिम्पिक साबित होने का अनुमान है। देखना होगा कि करोड़ों लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरकर विजेंदरसिंह, एमसी मैरीकॉम, अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग, दीपिका कुमारी, साइना नेहवाल, सुशील कुमार, लिएंडर पेस व सानिया मिर्जा पदक दिलवा पाते हैं या नहीं।ओलिम्पिक पदक हर खिलाड़ी का सबसे बड़ा सपना होता है, लेकिन खेल महाकुंभ के आते ही भारतीयों के मन को एक ही सवाल कचोटता है कि हर क्षेत्र में दुनिया के सभी देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाला यह देश खेल के क्षेत्र में क्यों फिसड्डी रह जाता है। एक अरब से ज्यादा की आबादी और किसी एक ओलिम्पिक में अभी तक जीते हैं सर्वाधिक ३ पदक। ये आँकड़े शर्मसार करने वाले हैैं, लेकिन २०१० कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन के बाद से देश के खेल स्तर में जबर्दस्त सुधार आया है। अत्याधुनिक सुविधाओं और खिलाड़ियों की तैयारियों को देखते हुए इस बार पूरा विश्वास है कि लंदन ओलिम्पिक भारत के लिए अभी तक के सबसे सफल ओलिम्पिक साबित होंगे।


एथलेटिक्स


          महिला चक्का फेंक में कृष्णा पूनिया को पदक के दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स की स्वर्ण पदक विजेता कृष्णा ने ग्वाँगझू एशियाई खेलों में कांस्य पदक अर्जित किया था। उनके प्रदर्शन में इसके बाद से लगातार सुधार आ रहा है, लेकिन वे भी जानती हैं कि लंदन में उनके सामने चुनौती आसान नहीं होगी।

कुश्ती 


           सुशील कुमार ने बीजिंग ओलिम्पिक में देश को १९५२ के बाद कुश्ती में पदक दिलाया था। २०१० विश्व चैंपियनशिप के विजेता सुशील से इस बार भी देश को पदक की उम्मीद रहेगी। फ्रीस्टाइल के ६६ किग्रा वर्ग में हिस्सा लेने वाले सुशील पिछले कुछ समय से चोटों से जूझ रहे थे, लेकिन अब वे पूरी तरह फिट हैं और उन्हें विश्वास है कि वे लंदन में भी चमत्कार दिखाएँगे। सुशील के अलावा २०१० कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले योगेश्वर दत्त (६० किग्रा) से भी पदक की उम्मीद रहेगी। नरसिंह यादव (७४ किग्रा) और अमित कुमार (५५ किग्रा) भी चमत्कार कर सकते हैं। एकमात्र महिला पहलवान गीता फोगट की चुनौती को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

ओलंपिक खेल, हाकी में भारत के ध्यानचंद अव्वल

            अब तक २१७ भारतीय खिलाड़ी १८ ओलिम्पिक खेलों में हॉकी खेलकर ओलिम्पियन बने हैं। भारत ने सर्वाधिक ११४ मैच खेले, सर्वाधिक ७५ जीते, सर्वाधिक ४१५ गोल दागे है। ९१ भारतीयों ने ४१० गोल बनाए हैं। जापान के खिलाफ ५ गोल जूरी द्वारा १९६८ के भारत-जापान मैच में जापान द्वारा वॉकआउट करने पर अवॉर्ड किए गए थे। धनराज पिल्लै ने ४ ओलिम्पिक खेलकर सर्वाधिक २७ मैचों में हिस्सा लिया। महान ध्यानचंद ने सर्वकालिक सर्वाधिक ३९ गोल दागे हैं।कौशल के नियाग्रे में विपक्षियों को ठग कर मिली अद्भुत विस्मयकारी अचरज भरी जीत पर गर्व से ऊँचा सिर अपने जीवन को धन्य मानता है । हॉकी कभी भारत-पाकिस्तान की बपौती रही है। एम्सटरडम (१९२८) से म्यूनिख (१९७२) तक के लगातार ४४ वर्षों में उपमहाद्वीपीय माटी की सुगंध ही ओलिम्पिक प्राँगण में महकी। इसके बाद नियमों तथा सतहों में परिवर्तन से एशियाई देशों का वर्चस्व समाप्त होता गया। हर ओलिम्पिक में मेजबान नई तरह की सतह हॉकी केओलिम्पिक हॉकी में सर्वकालिक ८ स्वर्ण पदक के गौरव-वैभव से हम भारतीयों के लिए ओलिम्पिक, स्वप्निल सुनहरे सपनों का स्त्रोत बना है। वर्षों की साधना, अभ्यास, मेहनत और तपस्या से विजयी मंच पर सोने के तमगे से सुशोभित गले को देखने का सुकून स्वर्ग से भी सुखद लगता है। प्रतिदिन प्रार्थना, आराधना, अरदास, दुआ करने वाले हिन्दुस्तानी अधिवर्ष में अंजुलि पसार खिलाड़ियों के लिए अमृत मांगते हैं ताकि सुधा पान कर एथलीट कौशल की खूबियों में हिमालयी ऊँचाइयाँ छूकर जीत की आभा से विरोधियों को धराशायी कर सकें। 

सर्वकालिक ओलिम्पिक हॉकी रिकॉर्ड (पुरुष)

सर्वाधिक खिताब भारत ८ (१९२८, ३२, ३६, ४८, ५२, ५६, ६४, ८०) 

अधिकतम स्वर्ण पदक ३ (ध्यानचंद , रिचर्ड एलन, बलबीर सीनियर, रणधीर सिंह जेंटल, रंगनाथन फ्रांसिस, लेसली क्लॉडियस, उधम सिंह-सभी भारत) 

ओलिम्पिक में पहला गोल स्कॉटलैंड के इवान लैग ने जर्मनी के विरूद्ध ४-० की जीत में दागा २९ अक्टूबर १९०८ को लंदन में।

न्यूनतम समय में गोल १५ सेकंड में भारत के अजित सिंह ने अर्जेंटीना के खिलाफ दागा मांट्रियल में १८ जुलाई १९७६ को ।

टूर्नामेंट में सर्वाधिक गोल १७ - हॉलैंड के टिज कु्रज ने म्यूनिख (१९७२) में ।

टीम द्वारा सर्वाधिक गोल ४३ भारत ने मॉस्को (१९८०) में ।

सर्वाधिक व्यक्तिगत गोल ३९ भारत के ध्यानचंद ने मारे ३ ओलिम्पिक (१९२८,३२,३६) में ।

फाइनल मैच में सर्वाधिक गोल ५ भारत के बलवीर सीनियर ने मारे हेलसिंकी में हॉलैंड के विरूद्ध ६-१ की जीत में २४ जुलाई १९५२ को ।

सबसे बड़ी जीत लॉस एंजिल्स में भारत ने अमेरिका को हराया २४-१ से ११ अगस्त १९३२ को ।

सबसे कम उम्र के खिलाड़ी अर्जेंटीना के सीजार रॉगुसो मांट्रियल (१९७६) में १६ वर्ष २९ दिन की उम्र में खेले ।

सबसे अधिक उम्र के खिलाड़ी अमेरिका के टिजर्क हिडे लीगस्ट्रा मेलबोर्न (१९५६) में ४४ वर्ष ३०२ दिन की उम्र में खेले । लंदन इससे पहले १९०८ और १९४८ में भी ओलिम्पिक खेलों की मेजबानी कर चुका है। वह आधिकारिक तौर पर तीसरी बार ओलिम्पिक खेलों की मेजबानी करने वाला पहला शहर बन गया है। ग्रेट ब्रिटेन ने १९४८ में अपनी मेजबानी में केवल ३ स्वर्ण पदक जीते थे और पदक तालिका में १२वें स्थान पर रहा था।

लंदन ओलंपिक 2012, कुश्ती, पाँच से भारत को आस


                 ओलिम्पिक खेलों की शुरुआत से ही कुश्ती इसका अभिन्ना अंग रहा है। किसी भी अन्य खेल की ऐसी पारंपरिक छबि नहीं रही जैसी कुश्ती की रही है। ग्रीको रोमन शैली की कुश्ती को विश्व में सबसे पुराने खेल के रूप में पहचाना जाता है। जब एथेंस में १८९६ में आधुनिक ओलिम्पिक खेलों की शुरुआत हुई तो यह खेल सबसे ज्यादा लोकप्रिय था। १९०० के ओलिम्पिक खेलों में इसे स्थान नहीं मिला। कुश्ती में फ्री-स्टाइल शैली की शुरुआत १९०४ के ओलिम्पिक से हुई। कुश्ती अब केवल ताकत का ही खेल नहीं रह गया है,बल्कि इसमें गति व दिमाग का महत्व ज्यादा बढ़ गया है।
            ओलिम्पिक हॉकी में सर्वकालिक ८ स्वर्ण पदक के गौरव-वैभव से हम भारतीयों के लिए ओलिम्पिक, स्वप्निल सुनहरे सपनों का स्त्रोत बना है। वर्षों की साधना, अभ्यास, मेहनत और तपस्या से विजयी मंच पर सोने के तमगे से सुशोभित गले को देखने का सुकून स्वर्ग से भी सुखद लगता है। प्रतिदिन प्रार्थना, आराधना, अरदास, दुआ करने वाले हिन्दुस्तानी अधिवर्ष में अंजुलि पसार खिलाड़ियों के लिए अमृत मांगते हैं ताकि सुधा पान कर एथलीट कौशल की खूबियों में हिमालयी ऊँचाइयाँ छूकर जीत की आभा से विरोधियों को धराशायी कर सकें।

            ओलिम्पिक खेलों में दो शैली की कुश्ती होती है, जिनमें थोड़ा सा अंतर होता है। ग्रीको रोमन शैली में पहलवान को अपने पैरों का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होती, साथ ही वह विपक्षी के पैरों पर वार भी नहीं कर सकता। फ्रीस्टाइल शैली में पहलवान पैरों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
                    ओलिम्पिक में महिला कुश्ती को पहली बार २००४ में शामिल किया गया। लंदन ओलिम्पिक में ३४४ पहलवान १८ पदकों के लिए होड़ में रहेंगे जिनमें से १४ में पुरुष और ४ वर्गों में महिला पहलवान चुनौती पेश करेंगी। महिलाएँ केवल फ्रीस्टाइल वर्ग में चुनौती पेश करेंगी जबकि पुरुष दोनों वर्गों में शामिल होंगे। महिलाओं में जापान का दबदबा शुरू से ही रहा है। इस बार भी ६३ किग्रा वर्ग में जापान की काओरी इचो अपने लगातार तीसरे ओलिम्पिक पदक की आस में मैट पर उतरेंगी। २९ साल की साओरी योशिदा ने हाल ही में अपना लगातार नौवाँ विश्व चैंपियनशिप खिताब जीता है। यहाँ वे ५५ किग्रा वर्ग में अपने लगातार तीसरे ओलिम्पिक स्वर्ण पदक के लिए प्रयास करेंगी। यदि वे यहाँ सफल रहीं तो रूस के महान पहलवान एलेक्सांद्र केरेलिन के एक दर्जन अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदकों की बराबरी कर लेंगी। पुरुष वर्ग में रूसी पहलवानों का दबदबा रहा है और वह लंदन में भी कायम रहने की उम्मीद है। ईरान और अजरबैेजान को भी पुरुष पहलवान कई पदक दिलाते आए हैं। अमेरिका भी इस खेल में शक्ति माना जाता है। अमेरिका के २० वर्षीय एलिस कोलमेन (६० किग्रा) अपने दल के सबसे युवा पहलवान हैं और उनसे ग्रीको रोमन वर्ग में बेहद अपेक्षाएँ हैं।

पाँच से भारत को आस 


           आधुनिक भारत में कुश्ती को लोकप्रियता प्रदान करने का श्रेय सुशील कुमार को जाता है। बीजिंग में सुशील ने जो सफलता पाई उसने भारतीय कुश्ती को सुर्खियों में ला दिया। अब लंदन ओलिम्पिक में भारत को सुशील सहित अन्य पहलवानों से ज्यादा पदकों की उम्मीद है। ओलिम्पिक में भारत से पाँच पहलवान अखाड़े में ताल ठोकेंगे, जिनमें महिला पहलवान गीता फोगट भी शामिल हैं। महाबली सतपाल के शिष्य सुशील कुमार (६६ किलो) और योगेश्वर दत्त (६० किलो) का यह लगातार तीसरा ओलम्पिक होगा। अमित, नरसिंह यादव और गीता का यह पहला ओलिम्पिक है। 

गीता पर दारोमदार


         गीता फोगट (५५ किलो) ओलिम्पिक में हिस्सा लेने वाली देश की पहली महिला पहलवान हैं। वे हरियाणा से आई हैं यह देश का वह हिस्सा हैं जहाँ भ्रूण हत्या के मामले बहुतायत में सामने आते हैं। महिलाओं को ज्यादा आजादी नहीं है। ऐसे में गीता का प्रदर्शन देश की लड़कियों के लिए आदर्श स्थापित करेगा।

लंदन ओलंपिक 2012, कौन बनेगा फर्राटा किंग ?


                  ओलिम्पिक खेलों में १०० मीटर फर्राटा दौड़ का हमेशा से ही प्रशंसकों को बेसब्री से इंतजार रहता है। पिछले कुछ दिनों में यह प्रतिद्वंद्विता ओलिम्पिक १०० मी. और २०० मी. चैंपियन उसेन बोल्ट और उनके जमैका के साथी व विश्व चैंपियन योहान ब्लैक के बीच पनपी है। लंदन ओलिम्पिक में इन दोनों को इन्हीं के देश के असाफा पॉवेल, अमेरिका के टायसन गे और डोपिंग के आरोप में चार वर्ष के निलंबन के बाद ट्रैक पर लौटे ३० वर्षीय जस्टिन गेटलिन कड़ी चुनौती देंगे। ये एथलीट १००मी. की स्टार्ट लाइन पर सबसे कम समय निकालने के लिए होड़ में रहेंगे और जो इसमें सफल रहेगा वह ओलिम्पिक चैंपियन का तमगा लगाएगा।
                 ३०वें ओलिम्पियाड के ट्रैक एंड फील्ड की सबसे चमकदार स्पर्धा में इनके बीच ट्रैक पर वर्चस्व की जबर्दस्त टक्कर देखने को मिलेगी। कुछ वर्ष पहले तक उसेन बोल्ट किसी सुपर ह्यूमन के तौर उभरे थे और रेस दर रेस वे और तेज होते गए। ट्रैक पर उतरने से पहले ही उनके गले में सोने का तमगा तय माना जाता था। लेकिन अब उनके ट्रेनिंग पार्टनर योहान ब्लैक के आने से स्थितियाँ बदल चुकी हैं। बोल्ट इस वर्ष अपने देश के ही सबसे तेज व्यक्ति नहीं थे। पिछले वर्ष बोल्ट को दाएगु में हुई विश्व चैंपियनशिप में १०० मी. दौड़ के फाइनल्स में फॉल्स स्टार्ट के बाद अपात्र करार दिया गया था। ब्लैक ने वहाँ स्वर्ण पदक जीता था। छः दिन बोल्ट ने २०० मी. दौड़ जीतकर लंदन में दोनों दौड़ के खिताब के दावेदारों में शामिल होने का ऐलान कर दिया था। लेकिन हाल ही में जमैका में हुए ओलिम्पिक ट्रायल्स के दौरान बोल्ट १०० मी. और २०० मी. दोनों में ब्लैक से पिछड़ गए थे। हालाँकि उन्हें २०० मी.की रेस के बाद में माँसपेशियों में खिंचाव के कारण ट्रैक पर से उठाकर ले जाना पड़ा था। बाद में उन्होंने ओलिम्पिक के मद्देनजर डायमंड लीग से भी हटने का निर्णय लिया था।
               बोल्ट पहले भी कई बार यह स्वीकार कर चुके हैं कि उन्हें यदि कोई हरा सकता है तो वह हैं उनके ट्रेनिंग पार्टनर ब्लैक। ब्लैक की ओलिम्पिक तैयारी धमाकेदार रही है और उन्होंने हाल ही में लूसर्न मीट में ९.८५ सेकंड में १०० मी. की दूरी तय की थी। ब्लैक का सर्वश्रेष्ठ समय ९.७५ सेकंड था, जब उन्होंने ओलिम्पिक ट्रायल्स में बोल्ट को पछाड़ा था। ट्रायल्स में ही उन्होंने २०० मी. में १९.८० सेकंड के सर्वश्रेष्ठ समय के साथ बोल्ट को मात दी थी। इस वर्ष का सबसे तेज समय बोल्ट (९.७६ सेकंड) और २००४ के ओलिम्पिक चैंपियन जस्टिन गैटलिन (९.८०) निकाल सके हैं। 
             "द बीस्ट" के नाम से पहचाने जाने वाले ब्लैक के लिए अपने स्कूल के कोच को छोड़कर बोल्ट के कोच ग्लेन मिल्स के साथ जुड़ना सबसे अच्छा निर्णय रहा। २२ वर्षीय ब्लैक प्रशिक्षण के प्रति बेहद गंभीर रहे हैं और इसमें बोल्ट ने भी उनकी काफी मदद की। असाफा पॉवेल ओलिम्पिक ट्रायल्स में तीसरे स्थान पर रहे थे।

शनिवार, 23 जून 2012

रोजगार मेला 25 को

रोजगार मेला 25 जून को डाइट जांजगीर में
पंचायत की मुस्कान देगा रोजगार
मेले में 26 संस्थानों के 2448 पदों पर की जायेगी भर्तियां
युवकों को मिलेगा कैरियर गाइडेंस
                                       जिला रोजगार एवं स्वरोजगार मार्गदर्शन केन्द्र जांजगीर-चांपा द्वारा जिले में 25 जून 2012 को जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) में रोजगार मेले का आयोजन प्रातः 10 बजे से सायं 05 बजे तक किया जायेगा। इस मेले में जिला जांजगीर-चांपा सहित जिलों की औद्योगिक इकाईयों द्वारा विभिन्न पदों पर 2448 रिक्त पदों पर भर्तियां की जायेगी। युवाओं को शासकीय विभागों एवं निजी प्रतिष्ठानों द्वारा कैरियर गाइडेंस दिया जायेगा। मेले में बहुरंगी हिन्दी मासिक पत्रिका पंचायत की मुस्कान के द्वारा भी रोजगार देने का काम किया जाएगा। मेले के माध्यम से पंचायत की मुस्कान के द्वारा सभी विकासखण्डों में विज्ञापन सहायक की भर्ती की जाएगी जिन्हें प्रारंभ में 6000 रूपए मासिक वेतन दिया जाएगा। रोजगार मेला के माध्यम से प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड चांपा, एसबीआई लाईफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड चांपा, एशियन इंस्टीट्यूट आॅफ फायर सेफ्टी जांजगीर, बजाज एलाइंज लाईफ इंश्योरेन्स कंपनी लिमिटेड चांपा, कोलकाता वेयर इंडस्ट्रीज लिमिटेड जांजगीर, भारतीय जीवन बीमा निगम नैला, डी.बी.एम. आई.टी.आई. लिंक रोड जांजगीर, हाॅटल ड्रीम पाईन्ट जांजगीर, पंचायत की मुस्कान जांजगीर, डी.पी.एस. चांपा, चैतन्य महाविद्यालय, पामगढ़, आईसीआईसीआई प्रोडन्शियल लाईफ इंश्योरेन्स कंपनी लिमिटेड कोरबा, एच.डी.एफ.सी. लाईफ टी0पी0 नगर कोरबा, छत्तीसगढ़ सिक्योरिटी सर्विसेस बिलासपुर, मेटलाईफ इंडिया इंश्योरेन्स कंपनी लिमिटेड बिलासपुर,नवा किशान बायो प्राइवेट लिमिटेड बिलासपुर, शिवाकाशी बायो प्लान्टीक लिमिटेड बिलासपुर, यूरेका फोरबेस लिमिटेड रायगढ़, बिरिला सन लाईफ इन्योरेन्स कंपनी लिमिटेड रायगढ़, सिक्योरिटी एण्ड इन्टेलिजेन्स सर्विसेज (इण्डिया) लिमिटेड रायगढ़, ग्रुप 2 सिक्योरिटी सर्विस रायपुर, गुरूकुल मैनेजमेंट एण्ड मार्केटिंग लिमिटेड रायपुर, सिक्योरिटी एण्ड इन्टेलिजेन्स सर्विसेज (इण्डिया) लिमिटेड रायपुर, बाम्बे इन्टेलिजेन्स सर्विसेज (ंइंडिया) लिमिटेड रायपुर तथा जी 4 सिक्योर साल्यूशन्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड रायपुर, शेयर माइक्रोफाईन लिमिटेड रायपुर में विभिन्न पदों पर भर्ती की जायेगी। 
                                        रोजगार मेले के माध्यम से विभिन्न प्रतिष्ठानों में मैनेजर (स्नातक/बीबीए/एमबीए), इंजीनियरिंग स्नातक (मेैकेनिकल, मेटलर्जी, सिविल, ई एण्ड आई पावर प्लांट), पाॅलीटेक्निक/बी.ई/डिप्लोमा फायर सेफ्टी, आई.टी.आई. (इलेक्ट्रीशियन, वेल्डर, फीटर, विद्युतकार, कोपा, वर्कशाॅप केल्कूलेशन, इंजीनियरिंग ड्राईंग),एम.एस.सी. (हार्टिकल्चर), प्रशिक्षक महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता, असिस्टेन्ट मैनेजर, फिल्ड मैनेजर, सेल्स मैनेजर, इंश्योरेन्स एडवाईजर, काउंसलर महिला, आफिस बाय, फायेनेंशियल मैनेजर, सेल्स एक्जीक्यूटिव, फिल्ड क्रेडिट असिस्टेंट ट्रेनी, केमिस्ट, आपरेटर, स्टोरकीपर, फिल्ड सुपरवाइजर, कन्सल्टेन्ट, ड्राईवर, विज्ञापन सहायक, रिसेप्सनिस्ट, मैन्टेनेन्स ब्वाय, वेटर, सिक्योरिटी गार्ड, सहायक प्राध्यापक (काॅमर्स, भूगोल, अंगे्रजी, रसायन, प्राणीशास्त्र, वनस्पति शास्त्र, भौतिक, गणित), कम्प्यूटर आपॅरेटर के रिक्त पदों मे भर्तियां की जायेगी।

शनिवार, 16 जून 2012

याद आती है पिताजी की सूनी आँखें


भारती पंडित

आजकल अक्सर याद आती है 
पिताजी की सूनी आँखें 
जो लगी रहती थी देहरी पर 
मेरे लौटने की राह में। 

आजकल अक्सर याद आता है, 
पिताजी का तमतमाया चेहरा, 
जो बिफर-बिफर पड़ता था, 
मेरे देर से घर लौटने पर। 

अब भली लगती हैं,
पिताजी की सारी नसीहतें 
जिन्हें सुन-सुन कभी, 
उबल-उबल जाता था मैं। 

आजकल सहेजने को जी करता है 
चश्मा, छड़ी, धोती उनकी, 
जो कभी हुआ करती थी, 
उलझन का सामान मेरी। 

अक्सर हैरान होता हूँ इस बदलाव पर 
जब उनके रूप में खुद को पाता हूँ। 
क्योंकि अब मेरा अपना बेटा 
पूरे अट्ठारह का हो गया है।

ऐसे प्रांरभ हुआ फादर्स डे



* फादर्स डे की मूल परिकल्पना अमेरिका की है।

* सबसे पहला फादर्स डे 19 जून 1909 को मनाया गया।

* वॉशिंगटन के स्पोकेन शहर में सोनोरा डॉड ने अपने पिता की स्मृति में इस दिन की शुरुआत की थी।

* फादर्स डे की प्रेरणा उन्हें 1909 में शुरू हुए मदर्स डे से मिली।

* 1916 में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने इस दिवस को मनाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी।

* 1924 में राष्ट्रपति कैल्विन कुलिज ने इसे राष्ट्रीय आयोजन घोषित किया।

* अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने 1966 में पहली बार इसे जून के तीसरे रविवार को मनाए जाने का फैसला किया।

* 1972 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने पहली बार इस दिन को नियमित अवकाश के रूप में घोषित किया। 

मंगलवार, 12 जून 2012

पंचायत की मुस्कान में जिला ब्यूरो बनें ...


                                       राष्ट्रीय बहुरंगी हिन्दी मासिक पत्रिका पंचायत की मुस्कान आप सभी के लिए पत्रकारिता के क्षेत्र में एक अवसर ला रहा है। अगर आप भारत में कहीं भी, किसी भी प्रांत में रहते हो तो आप पंचायत की मुस्कान में जिला प्रमुख बनकर पत्रकारिता की शुरूआत कर सकते हो। पंचायत की मुस्कान के साथ पत्रकारिता करने से आपको नाम और पैसा दोनों मिलेगा। पंचायत की मुस्कान में ब्यूरो की नियुक्ति निम्नलिखित शर्तो के अधीन की जाती है:-

1. ब्यूरो को कंपनी की ओर से 10 हजार रूपए मासिक वेतन दिया जाएगा साथ ही साथ उसे 10 प्रतिशत कमीशन दिया जाएगा।

2. ब्यूरो को प्रतिमाह कम से कम एक समाचार अनिवार्य रूप से भेजने होंगे।


3. ब्यूरो को प्रति माह 30 हजार रूपए के बिजनेस लाने अनिवार्य है साथ ही लाए गए विज्ञापन की राशि की वसूली का कार्य भी ब्यूरो को ही संपन्न करना होगा।

4. ब्यूरो के पद पर कार्य प्रारंभ करने के दिनांक से ही उनके वेतन की गणना की जाएगी लेकिन उसे प्रथम वेतन तब दिया जाएगा जब उसके द्वारा लाए गए विज्ञापन की राशि उसके वेतन के अनुपात में पत्रिका के खाते में जमा हो जाएगी।


5. ब्यूरो अपने क्षेत्र की भौगौलिक स्थिति, मार्केट की स्थिति से अच्छी तरह से परिचित हैं ऐसे में अपने क्षेत्र से विज्ञापन निकालने की जवाबदारी उनकी स्वयं की है। इसके लिए उसे स्वयं ही प्लान तैयार करने होंगे तथा उस पर अमल भी खुद ही करने होंगे।

6. लक्ष्य से अधिक विज्ञापन लाने पर ब्यूरो को जहां बोनस वितरण किया जाएगा वहीं लक्ष्य से कम विज्ञापन लाने पर उनके वेतन में कटौती का अधिकार मैनेजमेंट के पास सुरक्षित रहेगा।

7. जिला ब्यूरो को डिपाजिट मनी 5 हजार रूपए जमा करने होंगे। इंटरनेट पर पंचायत की मुस्कान देखने के लिए www.panchayatkimuskan.blogspot.com लाग आन करें।

                             पत्रकारिता, लोकतंत्र का चैथा स्तंभ। देश में फैले भयंकर भ्रष्टाचार ने इस क्षेत्र की उपयोगिता और बढ़ा दी है। वहीं पैसे की उपयोगिता आज किसी से छिपी हुई नहीं है। आज पत्रकार को समाचार के साथ-साथ बाजार की भी समझ होनी चाहिए। आज किसी भी अखबार में जिला ब्यूरो की जवाबदारी समाचारों में एक दूसरे से आगे रहने के साथ-साथ टारगेट पूरा करने की भी रहती है। आपको लगता है कि आपमें पत्रकारिता के गुण हैं या फिर आप पत्रकार बनकर नाम के साथ-साथ पैसा भी कमाना चाहते हैं तो हमसे जुडि़ए। हम मासिक पत्रिका पंचायत की मुस्कान के माध्यम से आपको नाम और पैसा दोनों कमाने का मौका देंगे।
                              पंचायत की मुस्कान में जुड़ने के लिए आप अपना बायोडाटा panchayatkimuskan@gmail.com  पर ईमेल कर सकते हो।

शनिवार, 9 जून 2012

पत्रकार बनें, नाम के साथ पैसा कमाए ...

पत्रकारिता, लोकतंत्र का चौथा स्तंभ। देश में फैले भयंकर भ्रष्टाचार ने इस क्षेत्र की उपयोगिता और बढ़ा दी है। वहीं पैसे की उपयोगिता आज किसी से छिपी हुई नहीं है। आज पत्रकार को समाचार के साथ-साथ बाजार की भी समझ होनी चाहिए। आज किसी भी अखबार में जिला ब्यूरो की जवाबदारी समाचारों में एक दूसरे से आगे रहने के साथ-साथ टारगेट पूरा करने की भी रहती है। आपको लगता है कि आपमें पत्रकारिता के गुण हैं या फिर आप पत्रकार बनकर नाम के साथ-साथ पैसा भी कमाना चाहते हैं तो हमसे जुडि़ए। हम मासिक पत्रिका पंचायत की मुस्कान के माध्यम से आपको नाम और पैसा दोनों कमाने का मौका देंगे।