मंगलवार, 24 जुलाई 2012

लंदन ओलंपिक 2012, कुश्ती, पाँच से भारत को आस


                 ओलिम्पिक खेलों की शुरुआत से ही कुश्ती इसका अभिन्ना अंग रहा है। किसी भी अन्य खेल की ऐसी पारंपरिक छबि नहीं रही जैसी कुश्ती की रही है। ग्रीको रोमन शैली की कुश्ती को विश्व में सबसे पुराने खेल के रूप में पहचाना जाता है। जब एथेंस में १८९६ में आधुनिक ओलिम्पिक खेलों की शुरुआत हुई तो यह खेल सबसे ज्यादा लोकप्रिय था। १९०० के ओलिम्पिक खेलों में इसे स्थान नहीं मिला। कुश्ती में फ्री-स्टाइल शैली की शुरुआत १९०४ के ओलिम्पिक से हुई। कुश्ती अब केवल ताकत का ही खेल नहीं रह गया है,बल्कि इसमें गति व दिमाग का महत्व ज्यादा बढ़ गया है।
            ओलिम्पिक हॉकी में सर्वकालिक ८ स्वर्ण पदक के गौरव-वैभव से हम भारतीयों के लिए ओलिम्पिक, स्वप्निल सुनहरे सपनों का स्त्रोत बना है। वर्षों की साधना, अभ्यास, मेहनत और तपस्या से विजयी मंच पर सोने के तमगे से सुशोभित गले को देखने का सुकून स्वर्ग से भी सुखद लगता है। प्रतिदिन प्रार्थना, आराधना, अरदास, दुआ करने वाले हिन्दुस्तानी अधिवर्ष में अंजुलि पसार खिलाड़ियों के लिए अमृत मांगते हैं ताकि सुधा पान कर एथलीट कौशल की खूबियों में हिमालयी ऊँचाइयाँ छूकर जीत की आभा से विरोधियों को धराशायी कर सकें।

            ओलिम्पिक खेलों में दो शैली की कुश्ती होती है, जिनमें थोड़ा सा अंतर होता है। ग्रीको रोमन शैली में पहलवान को अपने पैरों का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होती, साथ ही वह विपक्षी के पैरों पर वार भी नहीं कर सकता। फ्रीस्टाइल शैली में पहलवान पैरों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
                    ओलिम्पिक में महिला कुश्ती को पहली बार २००४ में शामिल किया गया। लंदन ओलिम्पिक में ३४४ पहलवान १८ पदकों के लिए होड़ में रहेंगे जिनमें से १४ में पुरुष और ४ वर्गों में महिला पहलवान चुनौती पेश करेंगी। महिलाएँ केवल फ्रीस्टाइल वर्ग में चुनौती पेश करेंगी जबकि पुरुष दोनों वर्गों में शामिल होंगे। महिलाओं में जापान का दबदबा शुरू से ही रहा है। इस बार भी ६३ किग्रा वर्ग में जापान की काओरी इचो अपने लगातार तीसरे ओलिम्पिक पदक की आस में मैट पर उतरेंगी। २९ साल की साओरी योशिदा ने हाल ही में अपना लगातार नौवाँ विश्व चैंपियनशिप खिताब जीता है। यहाँ वे ५५ किग्रा वर्ग में अपने लगातार तीसरे ओलिम्पिक स्वर्ण पदक के लिए प्रयास करेंगी। यदि वे यहाँ सफल रहीं तो रूस के महान पहलवान एलेक्सांद्र केरेलिन के एक दर्जन अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदकों की बराबरी कर लेंगी। पुरुष वर्ग में रूसी पहलवानों का दबदबा रहा है और वह लंदन में भी कायम रहने की उम्मीद है। ईरान और अजरबैेजान को भी पुरुष पहलवान कई पदक दिलाते आए हैं। अमेरिका भी इस खेल में शक्ति माना जाता है। अमेरिका के २० वर्षीय एलिस कोलमेन (६० किग्रा) अपने दल के सबसे युवा पहलवान हैं और उनसे ग्रीको रोमन वर्ग में बेहद अपेक्षाएँ हैं।

पाँच से भारत को आस 


           आधुनिक भारत में कुश्ती को लोकप्रियता प्रदान करने का श्रेय सुशील कुमार को जाता है। बीजिंग में सुशील ने जो सफलता पाई उसने भारतीय कुश्ती को सुर्खियों में ला दिया। अब लंदन ओलिम्पिक में भारत को सुशील सहित अन्य पहलवानों से ज्यादा पदकों की उम्मीद है। ओलिम्पिक में भारत से पाँच पहलवान अखाड़े में ताल ठोकेंगे, जिनमें महिला पहलवान गीता फोगट भी शामिल हैं। महाबली सतपाल के शिष्य सुशील कुमार (६६ किलो) और योगेश्वर दत्त (६० किलो) का यह लगातार तीसरा ओलम्पिक होगा। अमित, नरसिंह यादव और गीता का यह पहला ओलिम्पिक है। 

गीता पर दारोमदार


         गीता फोगट (५५ किलो) ओलिम्पिक में हिस्सा लेने वाली देश की पहली महिला पहलवान हैं। वे हरियाणा से आई हैं यह देश का वह हिस्सा हैं जहाँ भ्रूण हत्या के मामले बहुतायत में सामने आते हैं। महिलाओं को ज्यादा आजादी नहीं है। ऐसे में गीता का प्रदर्शन देश की लड़कियों के लिए आदर्श स्थापित करेगा।

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