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ओलिम्पिक खेलों की शुरुआत से ही कुश्ती इसका अभिन्ना अंग रहा है। किसी भी अन्य खेल की ऐसी पारंपरिक छबि नहीं रही जैसी कुश्ती की रही है। ग्रीको रोमन शैली की कुश्ती को विश्व में सबसे पुराने खेल के रूप में पहचाना जाता है। जब एथेंस में १८९६ में आधुनिक ओलिम्पिक खेलों की शुरुआत हुई तो यह खेल सबसे ज्यादा लोकप्रिय था। १९०० के ओलिम्पिक खेलों में इसे स्थान नहीं मिला। कुश्ती में फ्री-स्टाइल शैली की शुरुआत १९०४ के ओलिम्पिक से हुई। कुश्ती अब केवल ताकत का ही खेल नहीं रह गया है,बल्कि इसमें गति व दिमाग का महत्व ज्यादा बढ़ गया है।
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ओलिम्पिक हॉकी में सर्वकालिक ८ स्वर्ण पदक के गौरव-वैभव से हम भारतीयों के लिए ओलिम्पिक, स्वप्निल सुनहरे सपनों का स्त्रोत बना है। वर्षों की साधना, अभ्यास, मेहनत और तपस्या से विजयी मंच पर सोने के तमगे से सुशोभित गले को देखने का सुकून स्वर्ग से भी सुखद लगता है। प्रतिदिन प्रार्थना, आराधना, अरदास, दुआ करने वाले हिन्दुस्तानी अधिवर्ष में अंजुलि पसार खिलाड़ियों के लिए अमृत मांगते हैं ताकि सुधा पान कर एथलीट कौशल की खूबियों में हिमालयी ऊँचाइयाँ छूकर जीत की आभा से विरोधियों को धराशायी कर सकें।
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